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नरेगा संघरॠष मोरॠचा नरेगा मज़दूरी दर निरॠधारण के लिठगठित नागेश सिंह कमिटी की अनॠशंसा की कड़ी निंदा करता है

by admin, 9 October 2017

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9 अकॠटूबर 2017

नरेगा संघरॠष मोरॠचा नरेगा मज़दूरी दर निरॠधारण के लिठगठित नागेश सिंह कमिटी की अनॠशंसा की कड़ी निंदा करता है

चूंकि कई बार मांगने पर भी गॠरामीण विकास मंतॠरालय ने राषॠटॠरीय गॠरामीण रोज़गार गारंटी कानून (नरेगा) मज़दूरी दर के निरॠधारण के लिठगठित नागेश सिंह कमिटी की अंतिम अनॠशंसाओं को सारॠवजनिक नहीं किया है, नरेगा संघरॠष मोरॠचा इस कमिटी की डॠराफ़ॠट अनॠशंसाओं पर ही अपनी टिपॠपणी दे रहा है. मोरॠचा इन अनॠशंसाओं की कड़ी निंदा करता है चूंकि कमिटी के अनॠसार नरेगा मजदूरों को नॠयूनतम खेतिहर मज़दूरी देने के लिठकोई समॠमोहक तरॠक नहीं है. ठसी राय देकर यह कमिटी 2009 में शॠरू हॠठनॠयूनतम मज़दूरी कानून 1948 के हनन को जारी रख रही है जब सरकार ने नरेगा को नॠयूनतम मज़दूरी से अलग कर दिया था.

कमिटी अपनी इस राय के लिठचार बेतॠके तरॠक देती है. सबसे अहमॠहै कि राजॠय सरकारे नॠयूनतम खेतिहर मज़दूरी तय करने के लिठकोई सामान पॠरणाली नहीं अपनाती हैं. इस राय से पता चलता है कि इस कमिटी को नॠयूनतम मज़दूरी तय करने की पॠरकॠरिया के बारे में आवशॠयक जानकारी नहीं है. साथ ही साथ कमिटी संघीयता की उपेकॠषा कर रही है; नॠयूनतम मज़दूरी कानून राजॠयों को अपनी नॠयूनतम मज़दूरी तय करने का अधिकार देता है.

कमिटी का दूसरा तरॠक है कि खेतिहर मज़दूर दिन में नरेगा मज़दूरों की तॠलना 1-1.5 घंटा अधिक काम करते हैं जिसके कारण नरेगा मज़दूरों को खेतिहर मज़दूरों के सामान मज़दूरी देना उचित नहीं होगा. इस कारण से नरेगा को नॠयूनतम खेतिहर मज़दूरी से बिलकॠल अलग करना सही नहीं है.

तीसरा तरॠक है कि अलग अलग राजॠयों में नरेगा की ठक दिन की मज़दूरी पाने के लिठअलग अलग मातॠरा का काम करना पड़ता है. यह तरॠक भी नहीं समठआता कॠयोंकि कमिटी यह भी अनॠशंसा कर रही कि 2018-19 तक सरकार को नरेगा के काम की मातॠरा तय करने के लिठदेश भर में ठक समाना पैमाना तय करना चाहिठ. और ठसा नहीं है कि वरॠतमान नरेगा मज़दूरी राजॠयों में काम की मातॠरा में भिनॠनता को धॠयान में रखकर तय की जाती है.

कमिटी दॠवारा दिया गया शायद सबसे हासॠयासॠपद कारण है कि सरकार सॠवयं ही नॠयूनतम मज़दूरी का पालन करवाने में असमरॠथ है, विशेष रूप से महिलाओं के लिठ. यह तरॠक देकर कमिटी यह संकेत दे रही है कि चूंकि नरेगा में महिला और पॠरॠष को समान मज़दूरी मिल रही है, इसलिठइनॠहें नॠयूनतम मज़दूरी देने की आवशॠयकता नहीं है.

मोरॠचा कमिटी की नरेगा मज़दूरी दर को उपभोकॠता मूलॠय सूचकांक खेतिहर मज़दूर (CPIAL) के बजाय उपभोकॠता मूलॠय सूचकांक गॠरामीण मज़दूर (CPIRL) के अनॠसार संशोधन करने की अनॠशंसा का सॠवागत करता है चूंकि CPIRL नरेगा मज़दूरों की खपत का बेहतर पॠरतिनिधितॠव है. परनॠतॠ, जबतक नरेगा मज़दूरी में ठोस बॠौतरी नहीं होगी, इस अनॠशंसा से अधिक फरक नहीं पड़ेगा.

2009 में केंदॠर सरकार ने नरेगा मज़दूरी को 1 अपॠरैल 2009 के मूलॠय दर पर 100 रॠपये तक सीमित कर दिया था और नरेगा कानून की धारा 6(1) को “सकॠरीय†कर नरेगा मज़दूरी को नॠयूनतम मज़दूरी से अलग कर दिया था. धारा 6(1) के अनॠसार “नॠयूनतम मज़दूरी अधिनियम, 1948 में किसी बात के होते हॠठभी, केनॠदॠरीय सरकार, इस अधिनियम के पॠरयोजनों के लिठ, अधिसूचना दॠवारा, मज़दूरी दर विनिदिरॠषॠट कर सकेगी†. परनॠतॠ, आनॠधॠर पॠरदेश व करॠनाटक के उचॠच नॠयायालयों व कई कानूनी विशेषजॠञों ने यह सॠपषॠट किया है कि इसका मतलब नॠयूनतम मज़दूरी कानून का उलंघन नहीं है.

पिछले नौ वरॠषों से केंदॠर सरकार नरेगा मज़दूरी का “बेस†बढाठबिना केवल CPIAL का पॠरयोग करते हॠठनरेगा मज़दूरी बॠा रही है. इस कारण से कई राजॠयों की नरेगा मज़दूरी उसकी खेतिहर नॠयूनतम मज़दूरी से काफ़ी कम है. उदाहरण के लिठ, बिहार की नॠयूनतम खेतिहर मज़दूरी 232 रॠपये है जबकि नरेगा मज़दूरी केवल 168 रॠपये है (जिसमे 9 रॠपये राजॠय सरकार देती है). ठारखंड की नरेगा मज़दूरी राजॠय की नॠयूनतम खेतिहर मज़दूरी से 61 रॠपये कम है. नरेगा मज़दूरी में परॠयापॠत बॠौतरी न होने के कारण कॠछ राजॠयों की नरेगा मज़दूरी इतनी अलाभकारी हो गयी है कि मज़दूर रोज़गार की आवशॠयकता के बावजूद नरेगा से मॠह मोड़ रहे हैं. मज़दूरी में लमॠबे विलमॠब – कभी कभी तो मज़दूरी का भॠगतान होना ही नहीं – और देरी से भॠगतान के लिठमॠआवज़ा न मिलने का कारण नरेगा मज़दूरी का मूलॠय और कम हो रहा है.

नरेगा मज़दूरी दर में बॠौतरी न होने के कई विरोध हॠठहैं. इस वरॠष ठारखंड और उतॠतर पॠरदेश के नरेगा मज़दूरों ने पॠरधान मंतॠरी को ठक रॠपया लौटाया – जो उनकी पिछले वरॠष की तॠलना नरेगा मज़दूरी में बॠौतरी थी. 11 – 15 सितमॠबर 2017 को देश के 13 राजॠयों के सैकड़ों नरेगा मज़दूरों व उनके समरॠथकों ने नरेगा मज़दूरी में उचित वृदॠधि की मांग करने के लिठदिलॠली के जंतर मंतर पर धरना दिया.

नरेगा मज़दूरी निरॠधारित करने के लिठठक के बाद ठक कमिटी का गठन सरकार की नॠयाययॠकॠत नरेगा मज़दूरी दर तय करने की मंशा की कमी का संकेत करता है. केनॠदॠरीय रोज़गार गारंटी परिषद (CEGC) के “वरॠकिंग गॠरॠप ऑन वेजिज़†की अनॠशंसाओं पर बिना कारॠरवाई किठ2013 में सरकार ने महेंदॠर देव की अधॠयकॠषता में ठक कमिटी गठित की. गॠरामीण विकास मंतॠरालय ने इस कमिटी की अनॠशंसाओं को सॠवीकार कर उनॠहें वितॠत मंतॠरालय को भेज दिया. परनॠतॠ, सूचना का अधिकार कानून के तहत पाई गयी जानकारी के अनॠसार वितॠत मंतॠरालय ने बिना कोई सॠपषॠट कारण के इस कमिटी की अनॠशंसाओं को लागू करने से मना कर दिया और फिर नागेश सिंह कमिटी का गठन हॠआ. जबकि पूरॠव की कमिटियों में सॠवतनॠतॠर अरॠथशासॠतॠरी व मज़दूर संगठनों के पॠरतिनिधि थे, नागेश सिंह कमिटी में केवल सरकारी अधिकारी हैं.

नरेगा की मज़दूरी बहॠत कम होने से काम की मांग में गिरावट का डर है. शायद यही सरकार की मंशा है कि नरेगा मज़दूरी इतनी कम हो जाठकि मज़दूर सॠवयं ही नरेगा में काम न करना न चाहे. इस सॠथिति में सरकार बिना कानून का उलंघन किठनरेगा पर खरॠच कम कर सकेगी. ठसा करके सरकार के अनॠय कॠषेतॠरों में कम दामों पर मज़दूरी करने के लिठतैयार मज़दूरों की परॠयापॠत संखॠया सॠनिशिचित करने के इरादे को भी निकारा नहीं जा सकता.

नरेगा संघरॠष मोरॠचा निमॠन मांगे करता है:

नागेश सिंह कमिटी की मॠखॠय अनॠशंसा असॠवीकार हो.

2010 में CEGC के “वरॠकिंग गॠरॠप ऑन वेजिज़†की अनॠशंसा को लागू किया जाठजिसमें तीन विकलॠप दिठगठथे (1) पॠनः नरेगा कानून की धारा 6(1) के अनॠसार नरेगा मज़दूरों को उनके राजॠय की नॠयूनतम खेतिहर मज़दूरी देना; (2) केंदॠर सरकार राजॠयों व मज़दूर संगठन के पॠरतिनिधियों के साथ मिलकर नरेगा मज़दूरी तय करे जिसका महंगाई के साथ संशोधन हो और जो नॠयूनतम मजदूरी कानून के अनॠरूप हो; या (3) नरेगा कानून का संशोधन हो जिससे केंदॠर सरकार नरेगा मज़दूरी के लिठकॠछ राशि दे और बाकी राशि राजॠय सरकारें दे जिससे नरेगा मज़दूरों को नॠयूनतम मज़दूरी मिल सके.

नरेगा मज़दूरी का काम करने के 15 दिनों के अनॠदर भॠगतान हो. अगर भॠगतान में विलमॠब होता है तो मज़दूरों को पूरा मॠआवज़ा मिले.

नरेगा संघरॠष मोरॠचा की वरॠकिंग कमिटी:

राषॠटॠरीय नेटवरॠक: अरॠंधती धॠरू (जन आनॠदोलनों का राषॠटॠरीय समनॠवय), ठनी राजा (नैशनल फेडरेशन औफ़ इनॠडियन विमिन), गौतम मोदी (नॠयू टॠरेड यॠनियन इनिशिठटिव) और रोज़ी रोटी अधिकार अभियान (दीपा सिनॠहा और कविता शॠरीवासॠतव)

सॠथानीय संगठन व नेटवरॠक: जारिन वेरी (द ठंट, असम), (जन जागरण शकॠति संगठन, बिहार), इनॠदू देवी (समाज परिवरॠतन शकॠति संगठन), (छतॠतीसगॠकिसान मज़दूर आनॠदोलन), नीता हारॠदिकर (आनंदी, गॠजरात), बीरबल और सॠनॠदर सिंह (पीपलॠस ठकॠशन फॉर पीपल इन नीड, हिमाचल पॠरदेश), जेमॠस हेरेंज और तारामनी साहू (ठारखंड नरेगा वॉच), अभय कॠमार और सॠवरॠणा भट (गॠरामीण कॠली करॠमिकार संगठन, करॠनाटक), हरसिंह जामरे (जागृत आदीवासी दलित संगठन, मधॠय पॠरदेश), अशॠविनी कॠलकरॠणी (पॠरगति अभियान, महाराषॠटॠर), मॠकेश निरॠवासत और शंकर सिंह (मज़दूर किसान शकॠति संगठन), (समरॠथ फ़ौंडेशन, उतॠतर पॠरदेश), रामबेटी, रीना पांडे और ऋचा सिंह (संगतिन समूह, उतॠतर पॠरदेश), उरॠमिला (वनांगना, उतॠतर पॠरदेश), फॠलवा (दलित महिला समिति, उतॠतर पॠरदेश), अनॠराधा तलवार (पशॠचिम बंगा खेत मज़दूर समिति) और (उदायनी, पशॠचिम बंगाल)

अधिक जानकारी के लिठnrega.sangharsh.morcha@gmail.com पर लिखें या अंकिता अगॠरवाल (9504091005), अरॠंधती धॠरू (9919664444) या कामायनी सॠवामी (9771950248) से संपरॠक करें.