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हाठ, हम रोटी के लिठलड़ते हैं, पर हम फूलों के लिठभी लड़ते हैं . . . [Agony and Hope Among Delhi University Teachers]

by Mukul Mangalik, 25 June 2016

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‘हाठ, हम रोटी के लिठलड़ते हैं, पर हम फूलों के लिठभी लड़ते हैं . . .’

पिछले 4 हफॠतों में, दिलॠली यूनिवरॠसिटी टीचरॠस’ असोसियेशन (डूटा) के आहॠवान पे, हज़ारों शिकॠषक और अनेक छातॠर भरी गरॠमी में दिलॠली की सड़कों पर कई बार यों ही नहीं उतरें हैं | शिकॠषक हैरान भी हैं, नाराज़ भी | तातॠकालिक माठग थी की 10 मई को ज़ारी किया गया यू. जी. सी. का गज़ेट नोटिफिकेशन 2016 वापसलिया जाठ, लेकिन हज़ारों शिकॠषकों के दिलों में आकॠरोश की जड़ें पॠरानी हैं.

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हाठ, हम रोटी के लिठलड़ते हैं, पर हम फूलों के लिठभी लड़ते हैं . . .
मॠकॠल मांगलिक (23 June 2016)